सती माता के धाम में माता सती के अंग के गिरने की बात पूर्वजों ने कही है,जहाँ मन्नत पूरा होने पर व गादी पहाड़ देवी माँ के दर्शन से पूर्व चढ़ाया जाता है पत्थर

गतिमान एक्सप्रेस 24 न्यूज/गिरधर कुमार/रघुनाथपुर(पुरकेला)/सरगुजा
खूबसूरत वादियों व प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है सरगुजा जिला के जनपद पंचायत लुंड्रा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम पंचायत पुरकेला में स्थित गादी पहाड़ में देवी माँ का मंदिर । नवरात्रि,गुरू पूर्णिमा व अन्य धार्मिक दिवसों में मंदिर में लगा रहता है भक्तों का तांता,ग्रामीणों की मदद से सड़क व मंदिर का किया गया है निर्माण,बलि प्रथा उक्त देवी मंदिर में पूर्णतः प्रतिबंधित है ।



उक्त मंदिर के संरक्षक महेश नामदेव से मंदिर की प्राचीनता व विश्वसनीयता के संबंध में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू नववर्ष तिथि में मंदिर के प्रांगण में जाने के दरमियान मंदिर के संरक्षक महेश नामदेव द्वारा बताया गया कि उक्त पहाड़ को गादी पहाड़ नाम के पीछे प्रमुख मान्यता यह है कि उक्त पहाड़ में गादी देव का निवास है।
1980 में उक्त मंदिर का निर्माण क्षेत्रीय धर्मावलंबियों व ग्रामीणों की मदद से निर्माणित किया गया है उक्त मंदिर दर्शन हेतु पहुँचने के लिए सभी के सहयोग से कच्चे सड़क का निर्माण किया गया था ।
1980 से पूर्व ग्राम रघुनाथपुर पुराइन तालाब में ग्रामीण महिला द्वारा कपड़ा धोने के दौरान मूर्ति दिखाई दिया था । इसके पश्चात विधि विधान से मूर्ति को पीपल वृक्ष के नीचे रखा गया । उक्त मूर्ति को गादी पहाड़ में स्थापित कर मंदिर का निर्माण किया गया । प्रचार प्रसार न होने व जागरूकता के अभाव में उक्त मंदिर में विरानिया छाई रहती है । नवरात्रि व गुरू पूर्णिमा में उक्त मंदिर के प्रांगण में भजन कीर्तन व भंडारे का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है ।
भक्तगण अक्सर इस मंदिर में अपने मन की मुराद पाने व देवी माँ के दर्शन को दूर दूर से आते है। मन की मुराद पूर्ण होने पर भक्तगण अगरबत्ती व नारियल विशेष रूप से चढ़ाया जाता है ।
सती माता के धाम में आज भी भक्तगण गादी पहाड़ देवी मां के दर्शन से पूर्व सती माता धाम में मंदिर में आने से पूर्व व मंदिर दर्शन के पश्चात पत्थर चढ़ाते है ।


बुजुर्गों के कथनानुसार माता सती का एक अंग उक्त स्थल में गिरा था तब से लेकर अब तक ग्रामीणों की मान्यता है कि उक्त धाम में आस्था एवं विश्वास के साथ पत्थर चढ़ाने की प्राचीन परंपरा है,पत्थर चढ़ाने से मन की मुराद पूरी होती है चूंकि पूर्व में चढ़ावा के लिए कोई विशेष वस्तु उपलब्ध होता नहीं था व ग्रामीण अंचल होने के कारण पहाड़ी इलाके में आसानी से पत्थर उपलब्ध हो जाते थे और भक्तगण पूरी श्रद्धा से ही इन पत्थरों को चढ़ाते थे । हिन्दू धर्म भारत वर्ष में यह माना जाता है कि कण कण में भगवान का वास होता है और नारियल या अन्य वस्तु की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीण इस धाम में पत्थर का चढ़ावा चढ़ाते है ।
धार्मिक स्थल से प्रशासन है अनभिज्ञ:-
सरगुजा जिला अम्बिकापुर से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर यह पवित्र धार्मिक स्थल ग्राम पुरकेला के गादी पहाड़ में उक्त मंदिर स्थित है । क्षेत्रीय ग्रामीणों के आस्था का एक महत्वपूर्ण केंद्र होने के बावजूद प्रशासन की आज तक उक्त धार्मिक स्थल पर नजर नहीं गई है । जिससे उक्त धार्मिक स्थल तक पहुंचने हेतु आज तक सुगम मार्ग का निर्माण नहीं हो पाया है । कच्चे मार्ग होने के कारण व बरसात के दिनों में इन कच्चे मार्गों में मिट्टी का कटाव होने से यह धार्मिक स्थल तक पहुंचने का मार्ग भयावह हो जाता है ।
यदि प्रशासन इन धार्मिक स्थलों के संरक्षण व संवर्धन हेतु महत्वपूर्ण कदम उठाये तो सरगुजा जिला के धार्मिक स्थलों के मानचित्र की सूची में यह अग्रणी स्थान पर होगा ।

Author: gatimanexpress24news
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