भाजपा लुंड्रा द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव संगोष्ठी कार्यक्रम का उदारी सामुदायिक भवन में हुआ आयोजन

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गतिमान एक्सप्रेस 24 न्यूज/गिरधर कुमार/रघुनाथपुर:-

एक राष्ट्र एक चुनाव संगोष्ठी कार्यक्रम भाजपा मंडल लुण्ड्रा के सामुदायिक भवन ग्राम उदारी में संपन्न हुवा । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री वैभवसिंह देव पूर्व मंडल अध्यक्ष धौरपुर, कार्यक्रम की अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष लुंड्रा  सतीश कुमार जायसवाल के नेतृत्व में हुआ ।

संगोष्ठी कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री बुधसागर सिंह, जनपद सदस्य जयंत नाथ सिंह, राजेश सोनी, साजन एक्का, अभिषेक पावले, विनोद सोनी,ग्राम पंचायत उदारी सरपंच उमेश पैकरा,सफायात अंसारी, धनराम नागेश,दिलीप प्रजापति,बिरझु टेकाम, अर्जुन गुप्ता, विजय पटेल, धनेश्वर सिंह, सिकंदर पैकरा, हीरालाल पैकरा, दिलबंधु पैकरा, चंद्रशेखर पैकरा, सेवानिवृत कर्मचारीगण क्षेत्र के सभी व्यापारीगण किसान साथी नारी शक्ति समेत समस्त पदाधिकारी कार्यकर्ता साथी उपस्थित रहे ।

क्या “एक राष्ट्र, एक चुनाव” भारत के लिए व्यावहारिक है?

— डॉ. राघवेंद्र मिश्र, चुनाव विश्लेषक व संविधान विशेषज्ञ

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” का विचार नया नहीं है। भारत में 1952 से 1967 तक पहले चार आम चुनाव इसी प्रणाली के तहत कराए गए थे। लेकिन समय के साथ सरकारों के कार्यकाल में अस्थिरता और राष्ट्रपति शासन जैसी स्थितियों के कारण यह क्रम टूटा। अब जब फिर से इस व्यवस्था को पुनर्जीवित करने की बात हो रही है, तो यह जरूरी है कि इसके हर पहलू पर गंभीरता से विचार किया जाए।

इस व्यवस्था के स्पष्ट लाभ हैं—खर्च की बचत, प्रशासनिक भार में कमी और विकास कार्यों में रुकावट की रोकथाम। यह लोकतंत्र को अधिक संगठित और कुशल बना सकता है। लेकिन दूसरी ओर, भारत का संघीय ढांचा विविधताओं से भरा है। राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियाँ अलग-अलग होती हैं और समय-समय पर अलग चुनाव से जनता को सरकारों का मूल्यांकन करने का अवसर भी मिलता है।

इसके क्रियान्वयन के लिए संविधान के अनुच्छेदों में व्यापक संशोधन की आवश्यकता होगी, विशेषकर अनुच्छेद 83 (लोकसभा का कार्यकाल) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल)। साथ ही यह प्रश्न भी उठता है कि अगर किसी सरकार को कार्यकाल पूरा होने से पहले गिरना पड़े तो क्या सभी चुनाव फिर से कराए जाएंगे?

इसलिए, “एक राष्ट्र, एक चुनाव” का विचार जितना आकर्षक है, उतना ही संवेदनशील भी है। यह आवश्यक है कि इसे लागू करने से पहले व्यापक सार्वजनिक विमर्श, राज्यों की सहमति और कानूनी रूप से ठोस तंत्र विकसित किया जाए।

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Author: gatimanexpress24news

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