गतिमान एक्सप्रेस 24 न्यूज/गिरधर कुमार/मुंबई:-

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अपनी एक साथी के साथ बलात्कार करने के मामले में तीन व्यक्तियों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा है तथा व्यवस्था दी है कि जब कोई महिला ‘नहीं’ कहती है तो इसका मतलब ‘नहीं’ होता है, तथा उसकी पिछली यौन गतिविधियों के आधार पर सहमति का कोई अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
न्यायमूर्ति नितिन सूर्यवंशी और न्यायमूर्ति एम डब्ल्यू चंदवानी की पीठ ने 6 मई के अपने फैसले में कहा, “नहीं का मतलब नहीं है।” पीठ ने दोषियों द्वारा पीड़िता की नैतिकता पर सवाल उठाने के प्रयास को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि महिला की सहमति के बिना किया गया यौन संबंध उसके शरीर, मन और निजता पर हमला है। अदालत ने बलात्कार को समाज में नैतिक और शारीरिक रूप से सबसे निंदनीय अपराध बताया।

Author: gatimanexpress24news
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