गतिमान एक्सप्रेस 24 न्यूज/गिरधर कुमार/दिल्ली:-

भारत ने बुधवार को पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों को कम कर दिया और कई उपायों की घोषणा की, जिनमें पाकिस्तानी सैन्य अताशे को निष्कासित करना, 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना और 26 नागरिकों की जान लेने वाले भयावह पहलगाम आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों के मद्देनजर अटारी भूमि-पारगमन चौकी को तत्काल बंद करना शामिल है।
इस दुस्साहसिक हमले के एक दिन बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने पाकिस्तान के खिलाफ पांच विशिष्ट जवाबी कदम तय किए, सुरक्षा बलों को “कड़ी सतर्कता” बरतने का निर्देश दिया तथा अपराधियों को न्याय के दायरे में लाने की शपथ ली।
देर शाम मीडिया ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने निर्णयों की घोषणा करते हुए कहा कि पाकिस्तानी और भारतीय उच्चायोगों की कुल संख्या को वर्तमान 55 से घटाकर 30 कर दिया जाएगा। यह कटौती 1 मई तक प्रभावी होगी।
विदेश सचिव ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा एसवीईएस वीजा के तहत भारत में मौजूद किसी भी पाकिस्तानी नागरिक के पास भारत छोड़ने के लिए 48 घंटे का समय होगा।
मिसरी ने कहा कि पहलगाम हमले के सीमापार संबंधों को सीसीएस को दी गई जानकारी में उजागर किया गया, जिसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ कदम उठाने का निर्णय लिया गया।
नई जवाबी कार्रवाइयों ने दोनों पक्षों के बीच मौजूद कुछ कूटनीतिक तंत्रों को बंद कर दिया है, जिससे द्विपक्षीय संबंध एक और नए निम्न स्तर पर पहुंच गए हैं।
विदेश सचिव ने पांच जवाबी कदमों की घोषणा करते हुए कहा कि “नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया जाता है” तथा उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है।
उन्होंने कहा कि भारत इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने रक्षा, नौसेना और वायु सलाहकारों को वापस बुलाएगा।
उन्होंने कहा, “संबंधित उच्चायोगों में ये पद निरस्त माने जाएंगे। सेवा सलाहकारों के पांच सहायक कर्मचारियों को भी दोनों उच्चायोगों से वापस बुलाया जाएगा।”
मिसरी ने कहा कि पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीजा छूट योजना (एसवीईएस) के तहत भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा अतीत में पाकिस्तानी नागरिकों को जारी किए गए ऐसे सभी वीजा रद्द माने जाएंगे।
विदेश सचिव ने बताया कि बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल के साथ हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि सीसीएस को हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे।
विदेश सचिव ने कहा कि सीसीएस ने संकल्प लिया है कि पहलगाम हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा तथा उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
सीसीएस बैठक से कुछ घंटे पहले रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि निर्दोष नागरिकों पर “कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले” के लिए जिम्मेदार लोगों को भारतीय धरती पर उनके नापाक कृत्यों का जल्द ही मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।
सिंह ने यह भी कहा कि भारत न केवल उन लोगों को ढूंढ़ेगा जिन्होंने हमला किया, बल्कि उन लोगों का भी पता लगाएगा जिन्होंने “पर्दे के पीछे बैठकर” भारतीय धरती पर इस नापाक कृत्य को अंजाम देने की साजिश रची।
ढाई घंटे तक चली सीसीएस बैठक में अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद करने का फैसला किया गया। यह दोनों देशों के बीच एकमात्र चालू भूमि सीमा क्रॉसिंग है।
उन्होंने कहा कि सीसीएस ने निर्णय लिया है कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपना समर्थन त्याग नहीं देता।
विश्व बैंक द्वारा सीमा पार नदियों के जल को साझा करने के लिए की गई सिंधु जल संधि को दोनों पक्षों के बीच सबसे टिकाऊ समझौता माना जाता है।
अटारी में एकीकृत चेक पोस्ट को बंद करने के बारे में मिसरी ने कहा कि जो लोग वैध प्रमाण-पत्र के साथ सीमा पार कर गए हैं, वे 1 मई से पहले उस मार्ग से वापस आ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि सीसीएस को पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक मारे गए थे।
मिसरी ने कहा, “कई अन्य लोग घायल हुए हैं। सीसीएस ने हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है और पीड़ितों के परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है तथा घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है।”
उन्होंने कहा, “दुनिया भर की कई सरकारों से समर्थन और एकजुटता की मजबूत अभिव्यक्ति मिली है, जिन्होंने इस आतंकवादी हमले की स्पष्ट रूप से निंदा की है।”
विदेश सचिव ने कहा कि सीसीएस ने ऐसी भावनाओं के लिए अपनी सराहना दर्ज की, जो आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि सीसीएस को दी गई ब्रीफिंग में आतंकवादी हमले के सीमा पार संबंधों को सामने लाया गया।
उन्होंने कहा, “यह ध्यान देने योग्य है कि यह हमला केंद्र शासित प्रदेश (जम्मू और कश्मीर) में सफलतापूर्वक चुनाव आयोजित होने तथा आर्थिक वृद्धि और विकास की दिशा में इसकी निरंतर प्रगति के मद्देनजर हुआ है।”
मिसरी ने कहा कि सीसीएस ने समग्र सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की और सभी बलों को उच्च सतर्कता बनाए रखने का निर्देश दिया।
उन्होंने कहा, “यह संकल्प लिया गया कि हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा तथा उनके प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।”
उन्होंने कहा, “तहव्वुर राणा के हाल के प्रत्यर्पण की तरह, भारत उन लोगों की तलाश में लगातार प्रयास करेगा जिन्होंने आतंकवादी कृत्य किए हैं या उन्हें संभव बनाने की साजिश रची है।”
कार्यक्रम में अपने संबोधन में रक्षा मंत्री सिंह ने कहा, “मैं देशवासियों को आश्वस्त करता हूं कि घटना के मद्देनजर भारत सरकार हर आवश्यक और उचित कदम उठाएगी।”
सिंह ने कहा, “और हम न केवल इस घटना को अंजाम देने वालों का पता लगाएंगे। हम उन लोगों तक भी पहुंचेंगे, जिन्होंने पर्दे के पीछे बैठकर भारत की धरती पर इस नापाक कृत्य को अंजाम देने की साजिश रची है।”
रक्षा मंत्री ने कहा, “भारत इतनी पुरानी सभ्यता और इतना बड़ा देश है कि वह किसी भी आतंकवादी गतिविधि से भयभीत नहीं हो सकता।”
उन्होंने कहा, “ऐसे कृत्यों के लिए जिम्मेदार लोगों को निकट भविष्य में कड़ा जवाब मिलेगा।”

Author: gatimanexpress24news
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